मीनू 'सुधा
शाक्य वंश का राज दुलारा
शुद्धोधन- गौतमी का प्यारा।
राज- वैभव को समझ के माया
पत्नी, पुत्र, राज ठुकराया।
देख बीमार, अपाहिज, वृद्ध को,
रोक न पाया उसने स्वयं को
विचलित हुआ देख दुखों को,
निकल पड़ा खोजने सत्य को।
और फिर.....
जब मानव अज्ञानता के ,
अंधकार में घिरने लगा,
ज्ञान का संदेश लेकर
दीप एक जलने लगा।
था सत्य का ईंधन पड़ा
और शांति की बाती सजी,
'सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय'
की घंटियांँ बजने लगी।
"परिवर्तन ही नियम है"
चलो इसे पुनः अपनाएंँ
यदि संकल्प सुदृढ़ और विचार
शुद्ध हो जाए तो,
भारत का हर बच्चा
बुद्ध बन जाए।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 🙏
मीनू 'सुधा'
ऐतिहासिक तथ्यों के
आधार पर