आज मैं भटक रहा हूं..............

राकेश चन्द्रा

 तुम्हारे मुंह से अपने लिये

गालियां सुनना खुला तो जरूर



पर उतना नहीं

जितना कि बरसों की जवान दोस्ती

के लिये

बैसाखियों का ढूंढ़ना !


और जब कि मैं

अॅंधेरे के खिलाफ लड़ रहा था

तत्पर था

सूरज की पहली किरण से

सूरज की अन्तिम किरण तक

प्रत्येक रश्मि को संजोने में,

तुम्हारे वाक्शरों ने

मेरे सूरज को ग्रस लिया.


मर्माहत में

आज फिर भटक रहा हूं

तामसी प्रदेश में-अपने

सूरज की खोज में.


राकेश चन्द्रा

610/60, केशव नगर कालोनी,

 सीतापुर रोड, लखनऊ उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 8400477299, rakeshchandra.81@gmail.com

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
सफेद दूब-
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं यमुनानगर हरियाणा से कवियत्री सीमा कौशल
Image