शत् शत् नमन

वीर सावरकर जी की जयन्ती पर विशेष

सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'


तिथि अट्ठाइस आज, गाथा सावरकर कहे।

दिवस बहुत है खास, माह मई पावन रहे।। 


मन आजादी पास, संघर्ष गाथा अद्भुत।

दो - दो कारावास, आजन्म उन्होंने सहे।। 


मन से थे पाषाण, स्वाभिमान मस्तक हिये। 

निज हित के कल्याण, काज नहीं ऐसे किये।। 

क्रांति चेतना दूत, बनकर जन-जन जगाया। 

बनकर वीर सपूत, देश हित ही मरे जिये।। 


मन में भारत आन, अर्पित जीवन को किया। 

अखण्ड भारत शान, भाव सदा यह ही जिया।। 

ऐ वीरों से वीर, शत् - शत् वन्दन है तुम्हें।

हर पल रहे अधीर, आजादी का व्रत लिया।। 


**सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'

११६, राजपुर मार्ग, 

देहरादून ।


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