मां का हर रूप निराला

  मातृत्व दिवस विशेष 



कीर्ति चौरसिया

कैसे लिखें , कहां से लाएं ,

वो शब्द जो मां की महिमा लिख दें,

जिसमें सारा ब्रह्मांड समाया

कैसे उसका बखान कर दूं ।।


एक श्रष्ठी रचियता जगत की मां,

जगत कल्याणी, शेरावाली

ज्ञान का वरदान दिया,

हंस वाहिनी, पालन हारी

बड़ जाता जब पाप धरा में

तब असुरों का संहार किया,

रक्तबीज का रक्त पिया

मधु कैटभ का नाश किया ।।


जन्मदात्री मेरी मां,

 जिसने मेरा संसार रचा

कोख में अपनी धार मुझे

नौ महीने रक्त से सींच दिया,

संस्कारों का अंबार दिया

ममत्व , प्यार, दुलार दिया,

चिड़िया बन फुदक फुदक करती थी,

गुड़ियों से खेला करती थी,

मां की झोली में सीखा था

जीवन अपना कैसे जीना है।।।


इस मां का था रूप निराला

जब दुल्हन बन आई मैं,

रिश्तों को जब समझा मैंने

मां सासू के भाई मैं,

पग पग में थी कठिनाई

जिम्मेदारी भी खूब सिखाई,

अपने बेटे को जो सौंप देती

कैसे उसकी महिमा गाऊं,

करूं प्रार्थना हर जन्म में

उनका ही साथ पाऊं ।।


मां का हर रूप निराला

मां करती जीवन उजियला।।


कीर्ति चौरसिया

जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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