स्नेहलता पाण्डेय "स्नेहिल"
बहू ! मटर छील कर रख दिया है मैंने रात के खाने में इसकी अच्छी सी. चटपटी सी दाल बना लेना।
ठीक है मम्मी जी- सुधा ने कहा ।
"हाँ देखना तुम खुद ही बनाना कहीं पूनम बहू से मत कह देना बनाने को "
वह बहुत पतली दाल बना देगी और तेल मसाले भी ठीक से नहीं मिलायेगी । सुधा की सास रामदेवी ने कहा -
ठीक है मम्मीजी - सुधा ने कहा और मटर लेकर किचन में चली गई। वहां उसकी देवरानी पूनम चाय बना रही थी ।
सुधा ने पूनम से कहा -" मम्मी ने आज मटर की दाल बनाने को कहा है"। पूनम बोली- "ठीक है दीदी मैं बना दूंगी "इतना
कहकरवह अपनी सासु माँ को चाय देने चली गई।
रमादेवी चाय की चुस्कियां लेते हुए पूनम से कह रही थीं-
"बहू मैंने मटर छील कर रख दिया है तुम रात के खाने में उसकीअच्छी सी दाल बना लेना। " और हाँ तुम्ही बनाना सुधा बनाएगी तो बहुत गाढ़ा कर देगी और उसमें तेल मसाले भी ज्यादा मिला देगी।
सुधा ने कहा-"ठीक है मम्मीजीऔर वह किचन में चली गई ।
सुधा को पता था की मम्मी जी ने क्या कहा होगा पूनम से । पूनम को भी पता था की मम्मी जी ने सुधा दीदी से क्या कहा होगा ।
दोनों आपस में बातें कर रही थीं ।
रात में घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना खा रहे
थे । मटर की दाल बहुत अच्छी बनी हुई थी। सभी लोग
दाल की तारीफ कर रहे थे ।
रामदेवी के पति पूछा -'सभी चीजें बहुत बढ़िया बनी हैं ,पर मटर की दाल बहुत अच्छी बनी है"। "दाल किसने बनाई है" ?
सुधा के पति रमेश ने कहा -"पूनम ने बनाया होगा। " जबकि पूनम के पति सुरेश कह रह थे की भाभी ने बनाई होगी।
भाभी बहुत अच्छा खाना बनाती है । इस पर रमेश ने कहा -"पूनम भी बहुत अच्छा खाना बनाती है ।
सुधा ने कहा-" मम्मी जी आप बताइए दाल कैसी बनी है"?
रमादेवी चुपचाप खाना खा रही थीं ।
सुधा ने मुस्कुरा कहा -"हमदोनों ने मिलकर बनाया है" ।
सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव थे क्योकि उन्हें
रमादेवी की आदत के बारे में उन्हें पता था। उन्होंने कई बार
दोनों बहुओं में इसी तरह मतभेद पैदा करने की कोशिश की
थी । वे दोनों बहुओं को इतना भ्रमित कर देती थीं कि
वे दोनों आपस मे ही उलझ पड़ती थी । उन्हें लगता था कि
मम्मी जी उनकी बहुत तारीफ कर रहीं हैं । लेकिन धीरे धीरे
उन्हें अपनी सासु माँ की इस आदत के बारे में पता चलम
गया था। वे अब आपस मेंतालमेल बिठा कर रहती थीं और
मिल बांटकर काम घर के अन्य कामों को भी निपटाती थीं ।
रमामदेवी को उनकी बहुओं को आपस में प्यार से रहना नहीं सुहाता था । अतः वे कोई न कोई तरकीब सोचती रहती थीं। उन्हें आपसे में उलझाने की। घर के अन्य सदस्य भी
अबतक उनकी इस आदत के बारे में जान चुके थे। इसलिए
वे जानबूझ कर पूछ रहे थे "दाल किसने बनाई है" ?
दाल तो पूनम ने ही बनाई थी ।
दाल न तो ज्यादा गाढ़ी थी न ही पतली, उसमें तेल मसाले
भी बहुत संतुलित थे ।
स्नेहलता पाण्डेय "स्नेहिल"
नई दिल्ली
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