कर्तव्य
कर्म पथ पर चलते चलते मानव तू थक सा जाता है ,
चाहता है पाना मनचाही मंजिल पर ना पहुँच पाता है
घिर सा जाता है तू फिर निराशाओं के अंधकार में
कर्म के कर्तव्य से विमुख सा तू हो जाता है
पर ऐ बन्दे मत यह भूल ,कर्म करना है कर्तव्य तेरा
पाएगा अवश्य लक्ष्य इक दिन बस स्वयं से न विश्वास डिगा
माना समझौता जीवन से करना बुरा नहीं
पर स्वयं से तू कभी विश्वास अपना खोना नहीं
मानव जन्म अनमोल बड़ा न निराशा से इसे गवाना तुम
आशा तेरे सपनो को देगी पंख,कर्म को करते जाना तुम
निराशा के तम को तू अपने
कर्म और विश्वास के प्रकाश से हटा
फिर देख कैसे पाएगा मनचाही मंजिल और,
निखरेगी तेरे सुनहरे व्यक्तित्व की छटा
मास्क एवं दो गज दूरी
विपदा की घडी देखो फिर आ पड़ी
फिर से महामारी ने आतंकित किया
फिर से सिमटे घरों में हम ,
यह हम सभी का है किया धरा
जब पता चला था इस महामारी का,
घबरा गए थे हम सब लोग
लग गया लोकडाउन तुरंत,
घरों पर कैद हो गए थे हम सब लोग
दो गज की दूरी,मास्क ,सेनिटाइज़र ,
जो कुछ भी समझाया गया
सब कुछ समझा हमने उस समय,
और पालन भी हमने किया
पर जैसे-जैसे स्थिति सम्भली थोड़ी,
लापरवाह हो गए हम
भूले मास्क ,दो गज की दूरी,
सेनिटाइज़र का उपयोग करने हम
फिर क्या इस साल यह महामारी,
और भयावह बन कर आयी
ले गई अनगिनत जिंदगियों को,
हर तरफ मची त्राहि-त्राहि
माना वैक्सीन आ गई है ,
पर महामारी का अंत नहीं
मास्क और दूरी को समझे कवच जीवन का,
अभी और कोई विकल्प नहीं
हम समझेंगे तब ही तो अपने,
परिवार को सुरक्षित रख पाएंगे
सीख तो लें उनसे हम जिन्होंने अपने खोये
तब ही जीवन की कीमत जान पाएंगे
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)