शास्त्रीसुरेन्द्र दुबे
हिंदुस्तान में अमन हो,
भाईचारे का सृजन हो,
कठिन कालचक्र में,
न आपस में रण हो।।
अनेकता दफन हो,
नव एकता सृजन हो,
विचार पाक पावन हो,
हैवान को हनन हो।।
इंसानियत सृजन हो,
इंसान को नमन हो,
कोशिश करें सभी मिल,
खुशहाल ए वतन हो।।
अल्लाह की इबादत हो,
श्री राम का भजन हो,
ऐसा सभी का मन हो,
मेरा बादशाह वतन हो।।
*मुबारकबाद और हार्दिक शुभकामनाएं*
*@काव्यमाला कसक*
*शास्त्रीसुरेन्द्र दुबे अनुज जौनपुरी*
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