विपदा का मोल

दीप्ति खुराना

आकर विपदा जीवन में,

कीमत सुख की समझाए।

धैर्य धरे न जीवन में जो,

समय बीत बहुत पछताए।


तपकर कष्टों की अग्नि में,   

जीवन कुंदन बन जाए। 

मित्र-शत्रु, सत्य-असत्य,  

यह ज्ञान सुलभ कराए। 


घोल हलाहल कंठ में,

सुधा का स्वाद बढ़ाए।

जो न देखा हो पतझड़।

बसंत चित्त ना भाए।


जो भोगे तम रजनी का, 

नव प्रभात उसे लुभाए।

केवल सुख का सेवन ही,  

सुख का आनन्द मिटाए।

           ••

दीप्ति खुराना

शिक्षिका, मुरादाबाद (उ.प्र.)

Popular posts
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
जीवन के हर क्षेत्र में खेल महत्वपूर्णः संजय गुलाटी, भेल में अन्तर इकाई बास्केटबाल टूर्नामेंन्ट
Image
साहित्यिक परिचय : बिजेंद्र कुमार तिवारी
Image
मर्यादा पुरुषोत्तम राम  (दोहे)
Image