सांसों में उमंग

 

सन्तोषी दीक्षित कानपुर

चलो सांसों में नयी उमंग भरें

मतवाला हर इक अंग करें,

जीवन है तो, मृत्यु भी आयेगी

पहले से ही सोच के क्यों हम मरे,


संसार को भर लें दामन में

कलियों को खिलाये आंगन में

उनसे जो निकलें फूल यहां ,उनको चढाये ,प्रभु चरणों

में,


माना कि घना ,अधेरा है,पर

उसके बाद सवेरा है,माना कि

पंछी नीड़ में नहीं ,पर उनका

वहीं बसेरा है,


सूरज होकर के मतवाला 

अपनी आभा को बिखराता

है , चंदा होकर के दीवाना

अपनी शीतलता दिखलाता है


ये काया है नश्वर प्यारे,ये जीवन

तो क्षणभंगुर है, बाहर ढूंढोगे

मिलेगा न कुछ,सब कुछ इसके

अन्दर है,




संयम रखकर ,अपने ऊपर 

हम हर विपदा को पार करें

आ जाये कोई भी तूफा

मर जाये लेकिन हम न डरे,

चलो____


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