ग़ज़ल

  

डाॕ शाहिदा


अपने आसपास नज़र डाल कर देखो,

कुछ दीन दुखियों को पाल कर देखो |



खिल उठेंगे मुरझाये हुए फूल और पत्ते

तुम इस ज़मीन पर पानी पाट कर देखो |


भड़क उठेंगे शोले ये कोई खेल नहीं,

आग में तुम थोड़ा सा घी डाल कर दे |


ये ज़िन्दगी बहुत हसीन बन जाएगी,

इस में प्यार का रंग डालकर देखो |


ऊपर उड़ने वाला ज़मीन पर आएगा,

एक सिक्का हवा में उछाल कर देखो |


बारिश में आकाश से गिरता पानी ,

 फिर ऊपर जाएगा उबालकर देखो |


क़द ज़माने में ऊँचा हो जाएगा खुद ही,

दुश्मन को जड़ से उखाड़ कर देखो |


दौलत का नशा हरगिज़ न पालना,"शाहिद"

दौलत वालों के घर में झांक कर देखो |


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