स्वरा : नारी ह्रदय का स्वर मुशायरा स्पेशल

 ख़ुदा करे कि हर होंठ पे मुस्कान हो जाये

"स्वरा :नारी हृदय का स्वर" के अंतर्गत पिंकीश एनजीओ संस्था ने एक मुशायरे का आयोजन किया। देश के विभिन्न प्रांतों से अपनी अपनी गज़लों के साथ अनेक ग़ज़लकारा जुड़ी। कार्यक्रम का प्रसारण फेसबुक पर लाइव हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ पिंकीश की पदाधिकारी स्वाति सिंघल ने संस्था का परिचय देते हुए सभी के स्वागत से किया। मुशायरे की अध्यक्षता के लिए पटियाला की प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती मधु मधुमन जी को आमंत्रित किया गया और कार्यक्रम का शानदार संचालन गज़लगो श्रीमती इंदु मिश्रा 'किरण' जी ने  किया । कार्यक्रम के आरंभ में श्रीमती सोनिया अक्स जी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके माँ शारदे का आशीर्वाद लिया। 

मुशायरे का आरंभ  जौनपुर की श्रीमती विभा तिवारी जी ने  तरन्नुम में बहुत ही सुंदर गज़लें प्रस्तुत करके किया -

ना वहाँ पर जान का खतरा हो ना सैयाद हो 

चल वहाँ तू दिल जहाँ हर रस्म से आजाद हो 


उसके बाद भावांजलि की संचालिका अंजलि सिफ़र जी ने तहत में गजलें प्रस्तुत करके कोरोना से बचाने की दुआ की-

दे कोई एन्टी वायरस जहाँ को

इस कोरोना से ले तू बचा रब

 

तदुपरांत नवीन क़दम की आरुषि पत्रिका की संपादिका रीता 'अदा' जी ने तहत और तरन्नुम दोनों में ही अपनी प्रस्तुति दी और सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया-

तुम्हारा नाम न लिखते तो और क्या लिखते

सवाल पर्चे में आया था ज़िन्दगी क्या है


इसके बाद दिल्ली से तरुणा पुंडीर 'तरुनिल' ने वर्तमान काल मैं धैर्य के महत्व पर मुक्तक प्रस्तुत करते हुए अपनी गज़लें कहीं -

धैर्य से जीत जाएंगे ये रण भी हम

आपदा  से डरेंगे न इक क्षण भी हम

देख कर  होगा हैरान संसार भी      

 संक्रमण  का करेंगे  निवारण  भी हम


तत्पश्चात श्रीमती सपना अहसास जी ने जुदा व शानदार अंदाज़ में  आशा और उम्मीद की गज़लें कहते हुए अल्लाह से सब की सलामती की दुआ मांगी -

ज़ीस्त की मस्ख़ अलामात से जी डरता है

सांस लेने की रिवायात से जी डरता है


उस घड़ी से ,मैं डरूं क्यों जो घड़ी आई नहीं

बुज़दिली तेरे ख़यालात से जी डरता है


तदुपरांत सोनिया अक्स जी ने मुक्तक और नज़्म प्रस्तुत करके एक अलग ही समां बाँध दिया -

एहसासों का जंगल है।

कैसी कैसी हलचल है।

आँख बरसने वाली है,

और समन्दर पागल है।

किसपर तेरा नाम लिखूँ

किसका कोरा आँचल है।


कार्यक्रम की संचालिका इंदु मिश्रा जी ने तरन्नुम में बेहद सुंदर गज़लें सुनाई और दुआ की -

ख़ुदा करे कि हर होंठ पे मुस्कान हो जाये,

ग़मों की शाम का इस तर्ह से अवसान हो जाये।


और अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती मधु मधुमन जी ने पिंकिश संस्था की पदाधिकारी शालिनी जी,स्वाति जी और संस्थापक अरुण जी को भी सामाजिक सेवा के कार्य हेतु बधाई दी। उसके बाद मुशायरे पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने अपनी गजलें प्रस्तुत की उनकी प्रस्तुति में भी  तहत और तरन्नुम दोनों ही थे । उनकी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को अलग ही ऊँचाइयाँ प्रदन की-

शायरी कहते हैं जिसको आप सब 

वो किसी के दर्द का अनुवाद है ।

उन्होंने नारी ह्रदय की भी बात की और साथ ही साथ वर्तमान काल की नकारात्मता के बीच सकारात्मकता की बात की।

कार्यक्रम के समापन पर स्वाति जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सफल कार्यक्रम के लिए सब को बधाई दी।

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