मधु अरोड़ा
लाशों पर लाशें बिछ रही,
मातम है छाया ।
घर-घर मे कोरोना ने पांव पसारे।
कैसा वक्त है आया
न घर में कोई चैन से
कमरों में हैं बंद
ताप से कोई पीड़ित है ,
कोई खास रहा बेदम ।
अस्पतालों में जगह नहीं,
इलाज से लाचार
चारों तरफ दर्द की परछाई ,
राहा सूझती नहीं आज
शादी ब्याह की बात तो छोड़ो,
हो रही बिन शोर-शराबे के ।
बस हर कोई अपने आप को
करे बचाने का प्रयास
घर बच जाएगा।
घर बचेगा तो देश स्वयं बच जाएगा ।
नियमों का पालन करें सरकार के,
डबल मास्क लगाएं ।
जरूरत पर ही बाहर निकला जाए।
हाथ ना मिलाएं दिल से दिल मिलाए।
हाल-चाल पूछ,
लोगों का थोड़ा मरहम लगाए ।
खुद को बचाएंगे हारेगा कोरोना ।
भारत विजयी होगा दूर होगा कोरोना ।
इक दिन ऐसा आएगा ,
खुशी की लहर लाएगा।
सब मिलकर उस दिन ,
विजय दिवस मनाएंगे
खुशी से नाचेंगे गाएंगे
हर्षोल्लास मनायेंगे।।
दिल की कलम से
मधु अरोड़ा