तुझ संग तेरी मां रहती है

 

सुनीता द्विवेदी

तेरी रगों में बनके लहू मां बहती है

वही उनसी जो आदत तेरी क्या कहती है



तुझे दिखती नहीं पर तुझमें ही कहीं छुप

तेरे भीतर तेरी अपनी मां रहती है

जग छोड़ गई पर ममता तुझमें छूटी

वही आंखों से यादें बनकर मां बहती है

पोंछें खुद तू अपने आंसू पीड़ित हो तापों से

उन हाथों में धर्य सी लिपटी मां रहती है

सुख दुख संग रहे बनके आशा वो तेरी

अंत समय मां की ममता संग दहती है

मीच के आंखें खुद में ढूंढ ले तू मां को

खोई नहीं तुझ संग तेरी प्यारी मां रहती है

 सुनीता द्विवेदी

कानपुर उत्तर प्रदेश

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
सफेद दूब-
Image
ठाकुर  की रखैल
Image