सुनहरा प्रभात फिर लौट आएगा।
मानव यह समय भी गुजर जाएगा।
माना आज घनघोर अंधेरा है।
हवाओं में भी जहर का फेरा है।
आओ सब अन्तर्मन से जुड़ जाएँ,
आज वर्तमान भी सँवर जाएगा।
सुनहरा प्रभात फिर लौट आएगा।
मानव यह समय भी गुजर जाएगा।
भगवन भी तो ऊपर ही बैठा है।
उसनें भी तो यह सबकुछ देखा है।
एक आस पर ही विश्वास रखोगे,
तब ही यह महाकाल कट पाएगा।
सुनहरा प्रभात फिर लौट आएगा।
मानव यह समय भी गुजर जाएगा।
आज मानवता लाचार, अधीर है।
माना की स्थिति बहुत ही गम्भीर है।
परमपिता कबतक चुप्पी साधेगा ,
शेषनाग फिर से पल्टी खाएगा।
सुनहरा प्रभात फिर लौट आएगा।
मानव यह समय भी गुजर जाएगा।
सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
इन्दौर मध्यप्रदेश