सुभाष चंद्र झा 'अकेला '
नही चाहिए जन्नत का सुख , नही चाहिए मुझे दौलत माँ ,
हर पल तेरी कमीं है खलती , बस एक बार तू आ जा माँ ।
उंगली पकड़ तूने मुझको चलना सिखलाया था ,
कोमल हाथों की थपकी से रातों को सुलाया था ।
नींद तो आज भी नही आती , आकर लोरी सुना जा माँ ,
तेरे बिन हर खुशी अधूरी , बस एक बार तू आ जा माँ ।।
हर पल मेरी फ़िकर थी तुझको , मेरी परेशानियां तुझे जगा देता था ,
पूजा का प्रसाद सहेजे रखती थी तू , जब तक मैं ना खा लेता था ।
भूख तो अब भी लगती हीं है , अपने हाथों से खिला जा माँ ,
तेरे बिन तो हर स्वाद है फ़ीका , बस एक बार तू आ जा माँ ।।
जीवन की आपाधापी में शायद तुझको उतना वक़्त ना दे पाया था ,
पर जब भी बाहर से घर लौटा , दरवाज़े पर तुझको खड़ा पाया था ।
आज भी दस्तक दे रहा हूँ मैं , तू अपनी झलक दिखा जा माँ ,
तेरी एक दरस को तरस रहा मैं , बस एक बार तू आ जा माँ ।।
सुभाष चंद्र झा 'अकेला '
जमशेदपुर , झारखंड
9234620724