नज्म
उस्तादों का जहां भी सम्मान होता है
वहां का आम आदमी भी महान होता है
सबके दिलो दिमाग पर वो राज़ करता है
असल ज़िन्दगी में वही धनवान होता है
ज़ालिमो के जुल्मों को माफ़ करता चले
वही जग का सबसे बड़ा इंसान होता है
वो देश क्या तरक्की करेगा देशवासियों
जहां का मालिक कर्त्तव्यों से अंजान होता है
शिक्षा की ज्योती जलता रहे” नूरी” सदा
शिक्षा तो ज़मीं का दूसरा भगवान होता है
आजादी
अंगुली पकड़कर गर्दन पकड़ा था अंग्रेजों ने
गुलामी की जंजीर में जकड़ा था अंग्रेजों ने।
राजपूत, नवाबों को आपस में लड़ाया था,
हिन्दू मुस्लिम को आपस में भड़काया था।
किसान नील की खेती करने को मजबूर थे,
कुटीर उद्योग बन्द हुए,सपने चकनाचूर थे।
राज्य हड़प कर सीमा का विस्तार करते थे,
जलियांवाला बाग में, कुछ भूखों मरते थे।
जन -जन के मन में असंतोष बढ़ने लगा था,
क्रांतिकारियों के मन में रोष बढ़ने लगा था।
अट्ठारह सौ सत्तावन को पहला संग्राम हुआ,
ब्रिटिश सरकार हिल गया और बदनाम हुआ।
किस-किस का त्याग, बलिदान, धैर्य बताऊं मैं,
भगतसिंह,चंद्र शेखर किनका नाम गिनाऊं मैं।
हिन्दुस्तान तबाह,बर्बाद, बेरोजगार हो चुका था,
उन्नीस सौ सैंतालीस को देश आजाद हो चुका था।
कालांतर से भारत निरन्तर विकास कर रहा है,
सामाजिक कुरीतियों का विनाश कर रहा है।
आइए मिलकर गणतंत्र दिवस मनाया जाय,
वीर शहीदों की यादों को सीने से लगाया जाय।
नूर फातिमा खातून "नूरी"
( शिक्षिका)जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक/ स्वरचित