(नजरें)
एक नजर मिली और दूसरे को खबर नहीं ।
हम एक नजर से दूसरी को देखते रह गए ।
क्या नजरों का धोखा होता है हमने आज यह दिल से महसूस किया
जब हमारी नजरों ने एक दूसरे से मिलने से इनकार किया
कि हम मिले पर जहां को हमारी खबर नहीं
तब पता चला कि जो नजर एक दूसरे से मिली वह कभी एक दूसरे की थी ही नहीं
नजर किसी की रूह को देखती रही और खुशी किसी की आत्मा को मिलती रही।
यही नजर है जो कभी एक दूसरे से मिली ही नहीं और कभी दूसरे की हुई नहीं।
(धड़कन )
अभी तो शुरू हुई थी अभी रुक गई।
पता ना चला धड़कन कैसे रुक गई
पेड़ से टूटे हुए पत्तों के जैसे हालात हो गई
जब फुर्सत से जीने की जीने मिली आजादी हमें
तो पता नहीं कब जिंदगी ने कहा कि धड़कन खत्म हो गई
दुनिया ने जब इजाजत दी हंसने की
तो उम्मीद से किस्मत मुकर गई ।पता नहीं लोग कैसे जीवन का आनंद लेते है हमारी तो सारी धड़कन असमंजस में गुजर गए।।।।
(नारी )
मेरी ही ममता का कर्ज मेरे ही खून से चुकाते हो ।
कुछ ऐसे ही तुम अपना पुरुष पन दिखाते हो।
दूध पीकर ही तुम मेरा तुम मुझको ही न लजाते हो
वाह रे मनुष्य तुम खुद को फिर नारी का रक्षक कहलाते हो।।
हर समय तुम्हारी नजर मेरे सीने पर जमी हो पर इस हृदय में बसी ममता को नहीं देख पाते हो।।
एक नारी की कोख से जन्में हो बड़े हुए हो यह बात क्यों भूल जाते हो ।।
तेरी हर एक सपने पर हजार खुशियां कुर्बान कर देती हूं। मैं क्यों.. तुम मेरे शब्दों को समझ नहीं पाते हो
और अपनी हवस को मिटाने के लिए क्यों तुम नर से हैवान बन जाते हो।। हम औरतों को मर्यादा का पाठ पढ़ाने वाले क्यों क्यों अपने संस्कार मर्यादा भूल जाते हो।।
(परछाई)
वह काली घटा वह फिजाओं की खामोशी याद मुझे दिला रही है ।।वह हर पल तेरे साथ गुजारी रात मस्तानी
वो महकती शाम वो आंखों की जुबानी याद आ रही है वह तेरी साथ बिताई हर एक पल की जिंदगानी
वह आंखों में आंखें हाथों में हाथ वह धड़कते दिल की धड़कन की कहानी याद ।।
आ रही है फिर वह मुझे तेरी मेरी पहली मुलाकात की रवानी...
(शब्द)
शब्द हमको बहुत कुछ सिखाते हैं ।हम अकेले हो या परिवार के साथ हो ,मंदिर में हो या घर, में हो किसी छोटे गांव में हो, या बड़े बाजार में हो, शब्द हमको बहुत कुछ सिखाते हैं।। दुख, दर्द, पराया , अपनापन, झूठ, धोखा बेईमानी, और हार जीत कोशिशें मेहनत, जुनून, एतबार, मिलना- बिछड़ना ,टूटना और मिलना
सब शब्द कि माला से ही सीखते हैं।
शब्द हमें बहुत कुछ सिखाते
सुबह से शाम तक शाम से रात तक हंसी से मजाक तक मजाक से गंभीर बात तक
मासूम बचपन से भरी जवानी तक
बुढ़ापे से दर्द भरी कहानी तक सब शब्दों में बया करना हमें शब्दों में बयां करना हमें शब्द ही सिखाते हैं।।
(भाव )
बात तो करना चाहती हूं तुमसे बहुत कुछ जाते-जाते आखिरी बार दिल कहता है।
एक बार फिर रुक जाओ परंतु मेरे जो शब्द है आपके हृदय तक नहीं पहुंच पाते ऐसा लगता है ।
कि आप कुछ सुनना ही नहीं चाहते , तुम नजरअंदाज करते आए होते मेरी भावना को आप मुझे दो वक्त की रोटी कपड़े देखकर एहसान की तरह मुझे अपनापन जताना चाहते थे ।।
पर एक औरत होने के लिए यह काफी नहीं है।
मुझे वह अहसास चाहिए जो तुम्हारे प्रेम में डूबे हुए वाक्य को कभी भी मेरे जेहन से निकलने न... दे एक शिकायत है ....तुमसे न... आप मुझे पहले समझ सके ना अब मेरा अब मेरा खामोश रहना ही लाजमी है?
(दोस्ती )
छोड़ो ना सहेली ये चेहरे की झुरिया कोई तो होगा इस संसार में जो केवल तुम्हारे दिल से प्यार करता होगा ।।
छोड़ो ना सहेली बढ़ते हुए अपनी उम्र की फिक्र
कोई तो होगा जो केवल तुम्हारे स्वभाव की सरलता पर मरता होगा कोई तो होगा जो तुम्हारी हंसी पर मरता होगा
और के तान को सुनकर मर कर जीना आप वही करो वैसे ही जियो
क्योंकि कोई तो होगा इस जहां में उस जहां में जो केवल तुम्हें खुश रखने के लिए मरता होगा।।
डा . सरिता यादव
हिंदी व्याख्याता
राजकीय महाविद्यालय
जटौली हेली मंडी (हरियाणा )