ब्रह्माकुमारी मधुमिता 'सृष्टि'
आओ करें हम सृष्टि का सम्मान
मिलकर बढायें एक दूजे का मान
नर और नारी एकसमान
परमात्मा के हैं हमसब संतान
आओ करें उनकी महान रचना का सम्मान
प्रतियोगिता छोर सहभागिता बढ़ाएं
होगा तभी इस जग का उत्थान
नफरत के विष को त्यागो, प्रेम से बनालो अपना जीवन महान
आओ करें हम एक - दूजे का जय गान
सम्मान दें सभी को, भूलकर अपमान
नर और नारी एक समान
शुभ संकल्पों के बीज लगाएं
जीवन को कल्पवृक्ष समान बनाएं
मरकर भी, नाम अपना अमर कर जाएँ
सुन्दर जीवन की ये परिभाषा सबको बताएं
आओ करें हम, इस जग का कल्याण
मानव जीवन है,अनमोल, समय रहते कर, इसकी पहचान,
नर और नारी एक समान
ईश्वर की हम सब संतान
क्यों भूल गए हम अपनी पहचान ?
अहंकार से नहीं, कर्म से बनता मानव महान,
जीवन का तू, लक्ष्य पहचान
आओ करें एक दूजे का सम्मान
नर और नारी एक समान
मिलकर बढ़ाएं एक दूजे का मान
मैं घोषणा करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित ,मौलिक और अप्रकाशित है|
ब्रह्माकुमारी मधुमिता 'सृष्टि'
पूर्णिया बिहार