-मैं रहूं न रहूं







डॉ मंजु सैनी

जिंदगी का साथ जिंदगी से

  जिंदा रहे हम, रहे जब तक

 हमारा हौसला जिंदा रहे

       मैं रहूं न रहूँ।


वक्त ने माना हमारे बीच

  रख दी दूरियां बनाकर 

     हों दिलों में रास्ता, तो जिंदा रहे

       मै रहूं न रहूँ।


ऐ मेरे अपनो तुम्ही ने दी 

 मुझे जिंदादिली, मैं अगर जिंदा

    रहूं, तू भी सदा जिंदा रहे

       मैं रहूँ न रहूँ।


प्यार से सुलझाइये,

  हल गुत्थियां सुलझ जाएगी

    जब तलक संसार है ये

      फलसफा जिंदा रहे

        मैं रहूँ न रहूँ।


मेरी कविता,रहेगी

  मेरे दोहो की ताल भी

    गीत मेरे की सुरताल भी

     और गजल की खनक भी

       मैं रहूं न रहूं।


 मेरा कहा जिंदा रहे

   मेरा लिखा जिंदा रहे

     मै तुममे जिंदा रहूँ

       बस ये तम्मना रहे

          मैं रहूँ न रहूँ।

डॉ मंजु सैनी

गाजियाबाद

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