आघात से मरने वालों को जब
नजदीक से देखा
देखते ही उसे मैं रो पड़ा था
किसी तरह अपने आंसू को समेटा,
उसे देख कर मेरे में एसी साहस नही बची
उसे उठा कर डॉक्टर के
पास ले जाऊं,
इतने में वहाँ लोगों की भीड़
उमड़ पड़ी थी,
देखते ही देखते डॉक्टर के पास
ले जाने की तैयारी हो चली,
डॉक्टर उसका चेकअप जब
कर के आया
उसने भी उसे मरा हुआ बताया,
लोगों को यह बात सुन आँखे नम
हो रही थी,
मेरे आखों से फिर रुलाई
निकल पड़ी थी।
एसी घटनाओं को न अनदेखा करो
चोट लगने वालों की सहायता करो तुम!
✍️शास्त्री दिवाकर तिवारी
साहित्य विभाग
के.सं. वि.लखनऊ