डाॅ शाहिदा
उसका पैग़ाम मेरे नाम, सर आँखों पर,
प्यार का जाम मेरे नाम, सर आँखों पर।
प्यार के रंग में इस तरह सराबोर होकर,
ख़त में उसका सलाम, सर आँखों पर।
उसका भेजा तोहफ़ा क़ुबूल है मुझको,
गुलों के संग खार तमाम, सर आँखों पर।
कहीं गुलशन कहीं सहरा दिखाई देता है,
ऐसे वीराने में एक शाम, सर आँखों पर।
बरसात की सुहानी रात़ मे गर उसका,
मेरी कुटिया मे हो क़याम,सर आँखों पर।
काश कायनात का हर ज़र्रा करे दुआ,'शाहिद',
मुरादों का हो एहतेमाम, सर आँखों पर।