अशोक कुमार
विपरीत परिस्थिति , नही अचेतन मन
अमृत , विष , आशा ,निराशा सहता तन
अंतर्द्वंद झॆलता क्षणभंगुर बहुमूल्य जीवन
नहीं अंतर्यामी, अद्वितीय पर विवेकी मन
मुमुक्षु, क्षम्य हो प्रभु यह अमर्त्य जीवन
सर्वज्ञ तुम उपकृत हम त्रिलोकी अनुपम
राष्ट्रहित ,विश्वहित समर्पित हो मेरा जीवन
प्रभा, रश्मि से स्नान करता रहे ये तन।
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अशोक कुमार
6/344, निकट चमन की दुकान
नई बस्ती बड़ौत बागपत
उत्तर प्रदेश
पिनकोड ...250611