कवियित्री नूरफातिमा खातून "नूरी" की रचनाएं

 


नारी

नारी का जब -जब अपमान हुआ है

तब- तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है


नारी कोमल हृदय है कमजोर नहीं

उसके त्याग, ममता का छोर नहीं

वो हंसे तो पानी का फव्वारा लगे

गुस्साए तो दहकता ज्वाला लगे


तकलीफ में जब सुबह से शाम हुआ है

तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है


नारी से ही घर गृहस्थी सवंरता है

उसके दम से कोना -कोना महकता है

वह कई सारे रूप में मिल जाती है

मां,बहन, बेटी, बीबी के रूप में दिख जाती है


घर के जगह कोठा जब मुकाम हुआ है

तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है।


कामयाब पुरुष के पीछे नारी का हाथ होता है

जग जीतते जब नारी का हौसला साथ होता है

जहां नारी खुशी का एहसास करती है

बिन बुलाए ही घर में लक्ष्मी वास करती है।


बेखता जब नारी के सर इल्जाम हुआ है

तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है।


नज्म

बैठे- बैठे खुदा का गुणगान किजिए,

हिन्दुस्तानी होने का अभिमान कीजिए।


अपनाइयत की खुशबू फैलेगी हर तरफ,

छोटों को स्नेह बड़ों का सम्मान कीजिए।


आप शिखर पर पहुंच गए तो क्या कहने,

मगर जमीन वालों का न अपमान किजिए।


बड़प्पन का एक ही पहचान है दोस्तों,

व्यवहार हर एक से समान कीजिए।


बेआवाज लाठी की मार पड़ेगी दोस्तों,

बेखता न किसी के सर इल्जाम कीजिए।


एक ही तो मालिक है इस संसार में,

बेवजह ना राम, रहमान कीजिए।


सर उठाकर नजरें दौड़ाइए ‌दोस्तओ,

अच्छे बुरे की अब तो पहचान कीजिए।


नूरफातिमा खातून "नूरी"

( शिक्षिका)

जिला-कुशीनगर 

मौलिक/स्वरचित

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