डॉ मंजुसैनी
एक ख्वाब सी हूं मैं
पर अधूरी अधूरी सी..
एक मूरत सी हूं मैं
पर बिल्कुल ही अधूरी सी...
एक प्यारा सा रिश्ता हूं मैं
पर बिल्कुल ही अधूरा सा...
एक अच्छी सी तकदीर हूं मैं
पर बिल्कुल ही अधूरी सी...
किसी अपने का प्यार हूं मैं
पर लगता अधूरा अधूरा सा...
किसी की प्यारी चाहत हूं मैं
पर मेरी चाहत अधूरी सी...
एक सूंदर सी जज्बात हूं मै
पर लगता हमेशा अधूरा सा...
एक प्यारी सी बात हूं मैं
पर लगती हमेशा अधूरी सी ...
एक चांद के जैसी हूं मैं
पर वो भी अधूरी अधूरी सी ...
एक मीठी मीठी रात हूँ मैं
पर उस बिन अधूरी सी...
एक सूंदर सा दिल हूं मैं
पर दर्द भरा अधूरा सा...
एक अच्छी सी लड़की हूं मैं
पर तुझ बिन अधूरी सी ...
एक प्यारा सा एहसास हूं मैं
पर तुझ बिन अधूरी सी ...
एक प्यारी सी जिंदगी हूं मै
पर हर पल अधूरी सी ...
एक तेरा सा वजूद हूं मै
पर अहसास अधूरा सा...
एक छोटी सी कहानी हूँ मैं
पर तुम बिन अधूरी अधूरी सी...
...अधूरी सी…
डॉ मंजुसैनी
गाजियाबाद