उदय किशोर साह
कैसा समय आ गया हे भगवान
मय्यत मे भी जाने से कतरा रहा इन्सान
साथ ना दे रहा है अपना भी नादान
कैसा दिन दिखला रहा है मेरे राम
अपना अपनों से बनाये है अब दुरी
जीवन में आ ग्ई कौन सी मजबुरी
परिजन भी शव छुने से घबराये
मुक्तिधाम में छुटा अपने पराये
कौन समय आ गया हे भगवान
जीवन का सफर अधुरा छुट रहा है प्राण
दूर था मंजिल राह था अनजान
छोड़ सफर तन मुड़ गया शमशान
ये किस जुर्म की सजा दे रहे हो भगवान
अपनों से विछुड़ रहा है है इन्सान
जग कोरोना से हो रहा है हलकान
छीन लिया है चेहरे की भी मुस्कान
कोरोना से मानव गया है हार
मौत सामने खड़ा मुँह खोले यार
विश्व में मचा है अजब हाहाकार
कौन सा दिन दिखलाये हो सरकार
कब कौन चला जायेगा छोड़ संसार
जीवन का नहीं है कोई आसार
जान बचाने में है असफल सरकार
ये क्या हो रहा है अय पालनहार
किस गुनाह की सजा दे रहे हाे भगवान
कीड़े मकोड़े सा मर रहा जग में इन्सान
आश्रय देने में असफल है कब्रिस्तान
साथ नहीं देता परिजन भी बना अनजान।
उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
9546115088