ग़ज़ल
तू है मेरा कवि मैं तेरी कविता हूँ,
शब्द हैं तेरे मैं तेरी सरिता हूँ।
तेरे शब्द रूपी बूँद
-बूँद में मेरा अस्तित्व है,
जिंदगी का यही मेरा मूल तत्व है।
तू है मेरा सागर मैं तेरी नैया हूँ,
तूफानों से पार लगाने वाला तू मेरा खेवैया है।
मैं हूँ अपूर्ण तू मेरी पूर्णता है,
तुझ बिन मेरे जीवन में शून्यता है।
तू है मेरा ईष्ट मैं तेरी आराधना हूँ,
जन्मों-जन्मों की तू ही मेरी साधना है।
जन्म-जन्म का हर साँस
है समर्पित,
प्रिय!आज तेरी
आराधिका तुझ पर है अर्पित।
बिदाई गीत
मईया छूट रही है आँगन मेरा........
जिस घर मे पली-बढ़ी,जिसके कण-कण से मेरा रिश्ता,
आज क्यों छूट रहा है बाबा मेरे बचपन का हर किस्सा।
मईया छूट रही है ऑंगन मेरा......
जिस आँगन में झूले झूली,घर का हर कोना-कोना मेरा,
मईया क्यों भेज रही तू मुझको अब परदेश जो नहीं है मेरा।
मईया छूट रही है आँगन मेरा......
क्यों हो गई जवान मैं इतनी जल्दी,क्यों ब्याह रही है लगा के हल्दी,
कह रही हो पिया के देश अब जाना है,मईया मुझको अपना आँगन भी ले जाना है।
मईया छूट रही है आँगन मेरा..........
आज हो गई पराई रे आँगन, कल तक जिसमे मेरी प्राण बसी थी।
आज अपने हो गए साजन,कल तक जिनसे अनजान थी।
मईया छूट रही है आँगन मेरा.........
बसन्त को आने दो
शीत की लहर अब तेरी बिदाई है,
बसन्त को आने दो.....
डाल-डाल अब मुकुल फूटे,
अमराइयों में कोयल कूके।
पीली -पीली सरसों झूमे,
मदहोश हो हर जन खुशी से झूमे।
बसन्त को आने दो.....
प्रेम की बगिया महके,
झूम झूम खग अब चहके।
मुझको भी अब खो जाने दे,
ठहरो ये ग्रीष्म मुझे थोड़ा बहक जाने दे।
बसन्त को आने दो....
मीना माईकेल सिंह✍️
कोलकाता