मेरी खामोशी
मेरी खामोशी का मतलब
यह नहीं कि मुझे दर्द नही होता
या मुझे कुछ समझ नहीं आता
मैं रिश्तों को निभाना जानती हूं
शायद इसलिए ही चुप हूँ
बोलना मुझे भी आप सा ही आता हैं पर
रुक जाती हूं अपने संस्कारो से क्योकि मैं
रिश्तों को अहमियत देती हूं ओर ऐसे कब तक
आखिर कब तक मैं यूं ही दर्द सहती रहूं
मुझे भी दर्द का अहसास होता हैं
क्यो मुझे कभी समझा नही गया..?
कभी तो अपनापन दिखाया होता.. कभी तो !!
बहुत हुआ अब नही होता मुझसे ये सब बर्दास्त
मुझे भी दर्द होता होगा क्या कभी सोचा गया ये
मेरी खामोशी का मतलब
ये नही की मुझे कुछ पता नही चलता
मैं भी इंसान हूँ आप जैसा ही दुख सुख होता हैं मुझे भी
कभी क्यो नही समझा गया मुझे भी इंसान..?
आखिर मैं भी तुम जैसी हूं
मैं भी इंसान हूँ दर्द होता हैं मुझे भी
सच मे बहुत होता हैं दर्द मुझे भी।
सिर्फ तुम
शब्द...
मेरे शब्द तुम हो
एहसास भी तुम ही हो
ख्वाब...
मेरे ख्वाब भी तुम हो
हकीकत भी तुम ही हो
तलब...
मेरी तलब भी तुम हो
ख्वाहिश भी तुम ही ही
गीत...
मेरे गीत तुम हो
मेरे सब राग तुम ही हो
इश्क...
मेरे इश्क तुम हो
मोह्हबत भी तुम ही हो
अरमान...
मेरे अरमान तुम हो
मेरा सम्मान तुम ही हो
सिर्फ…
मेरे अपने सिर्फ तुम हो
सिर्फ तुम ही तुम हो
हसरत...
मेरी हसरत तुम हो
"मंजु" की आशा तुम ही हो
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद