धरा शौर्य

 

शरद कुमार पाठक

माँग रही अब धरा शौर्य

रण भूमि महाभारत ही


मांँग रही है अस्त्र शस्त्र

अब ग्रांण्डीव धनुषधारी

ओज माँगती भुज दण्डों में

गति रक्त वीर प्रवाह मयी


माँग रही कर में कृपाण

उर अन्तर ज्वाला सी


माँग रही है सिंह गर्जना

अति वीर महा बल शाली


माँग रही है पहले जैसे

अब शिवा शोर्य

अति महावीर मराठा सी


मांँग रही है अब धरा शौर्य

रण भूमि महाभारत सी 

शरद कुमार पाठक

हरदोई उत्तर प्रदेश



  

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