कवि सुखविंद्र सिंह मनसीरत की रचनाएं

 



 कमल (दोहा) 


कमल खिला है ताल में,फूल बहुत अनमोल।

मधुर सुगंध बिखेरता,बिन कोई भी मोल।।


भांति भांति के फूल हैं, सबकी है पहचान।

जो कमल न पहचानता, जग में वो नादान।।


बेशक कीचड़ में खिले,कमल बहुत गुणवान।

रंग बिरंगी गंध से, कर देता धनवान।।


कमल पुष्प एक प्रेरणा, मत हो कभो हताश।

तमस के सदा बाद ही, होती नव प्रभात।।


राष्ट्रीय सुमन देश का,लक्ष्मी करती वास।

खुशहाली प्रतीक है, शांति करती निवास।।


पंकज सा खिलता रहे, घर आंगन में फूल।

मनसीरत खुशियाँ मिले,सबको होत कबूल।।



 जिंदगी का सफर 


आहिस्ता आहिस्ता यह सफर कट जाएगा,

हमराही मिल गया तो ये हिज्र मिट जाएगा।


सोचता हूँ कभी, यह क्यों, कब ,कैसे हुआ,

जो भी हुआ जैसे हुआ फर्क मिट जाएगा।


फूलों सी नाजुक होती है यह जिन्दगानी,

जिन्दादिली से जिओ ,जीवन कट जाएगा।


किस पर कैसे ,कब तक यकीं किया जाए,

यकीं हो गया तो ये भ्रम सा मिट जाएगा।


स्नेह बिना जिंदगी होती आधी अधूरी सी,

प्रेम के वर्षण से सारा सूखापन हट जाएगा


कष्टों से भरी होती है यह अनमोल जिंदगी

खुशी के हसीं पल हो तो कष्ट कट जाएगा


पानी के बुलबुले सा होता है मानव जीवन

बुलबुला फट गया तो सबकुछ मिट जाएगा


खुली आँखों से देखते रहते हैं हसीं सपने

मनसीरत स्वप्न काल से पर्दा हट जाएगा



सफर जिंदगी का कट ही जाएगा


सफर जिंदगी का कट ही जाएगा,

तमस जिंदगी का मिट ही जाएगा।


पहेली सी बनी है जीवन की चाबी,

मुसीबत भरा बस्ता घट ही जाएगा।


करें क्या भरोसा हम इस जीवन का,

सलिल बुलबुला ये फट ही जाएगा।


बनी कब कहाँ दोस्ती विपदाओं से,

घना कोहरा झट हट ही जाएगा।


कभी आसमां में छंटेगा बादल,

दुखों का वजन तो घट ही जाएगा।


दुखी मन यहाँ मनसीरत का रोता,

खुदा नाम हर पल रट ही जाएगा।


वो चाँदनी रात 

याद आ गई वो चाँदनी रात,

जब हुई थी मेरी चाँद से बात।


देख कर बेसुध थे अंग हमारे,

काम नहीं कर रहे थे हाथ लात।


तमस का पड़ गया घना साया,

खूब हुई आँसओं की बरसात।


आसमान में चमकते थे तारे,

सितारों भरी मिली थी सौगात।


शुरू नहीं हुई कोई वार्तालाप,

खत्म होने को आई मुलाकात।


हूर सी नूर मुँह मोड़ कर चली,

जाते देख कर हो गया हताश।


वापिस आएंगी गुजरी बहारें,

देखिए कब बदलेंगे ख्यालात।


बेसब्री से पल का है इंतजार,

समझेंगे हमारे कभी जज्बात।


मनसीरत के जारी हैं प्रयास,

जल्द ही बदल जाएंगे हालात।

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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 

खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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