जितेन्द्र 'कबीर'
उन विरह के नगमों में
आ नहीं पाई कभी उतनी तड़प
कि सुनकर उन्हें
दौड़ा चला आए प्रियतम एकबारगी,
गाने वाले ने गाया जिन्हें
भावों की गहराई में उतरे बिना ही
सिर्फ कौशल प्रर्दशन के लिए।
उन मिलन के लम्हों में
आ नहीं पाई कभी उतनी कशिश
कि भोग कर उन्हें
दुनिया भुला जाएं दो लोग एकबारगी,
मिलाने वाले ने मिलाया जिन्हें
मन से उनकी सहमति जाने बिना ही
सिर्फ अहम प्रर्दशन के लिए।
उस कलम के शब्दों में
आ नहीं पाया कभी उतना असर
कि पढ़कर उन्हें
दिल में उतरता जाए लेखक एकबारगी,
लिखने वाले ने लिखा जिन्हें
अनुभव की भट्ठी में तपे बिना ही
सिर्फ विद्वता प्रर्दशन के लिए।
जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - गांव नगोड़ी डाक घर साच
तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314