"जय गणपति"



जय गणपति गजवदन विनायक

जय-जय देवों के कुल नायक


जय गौरी के पुत्र गणेश

हरौ ना हम पापी का कलेश


दीन-दुखी हम अति दुखियारी

दरसन बस आयी गलियारी


एक बार दरसन मुझे दीजै

इतना कृपा प्रभु तुम कीजै


मन, क्रम वाणी से सुमिरन कर

प्रभु चरणों को शीश नवाकर


धन्य समझती जीवन अपना

बाकी सब जीवन में सपना


जय गणपति गजवदन विनायक

जय-जय देवों के कुल नायक।। 

            

        विंध्यवासिनी तिवारी

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