कोरोना की वैश्विक महामारी में चारो तरफ छाये अवसाद - विषाद के बादलों को हटाते जीवन्तता की चमकीली धूप बिखेरते.. रा.सा.सा.व सांस्कृतिक संस्था काव्य सृजन ने अनूठी पहल करते अपने स्थापना दिवस पर गत संध्या पं.श्रीधर मिश्र जी की अध्यक्षता में हास्यसम्राट पं.सुरेश मिश्र के अद्भुत संचालन में हँसी - खुशी से हास्य - व्यंग की महफिल सजायी।
डॉ श्रीहरि वाणी जी के मार्गदर्शन में सम्पूर्ण देश के सुदूर क्षेत्रों से अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार.. कवि.. विद्वान् सब इस आयोजन से जुड़े।खूब आनंद लिया और वातावरण में छाये विषाद को भूलकर खूब हँसे और हँसाया..।आयोजन में भाग लेने वाले सर्वश्री रमेश महेश्वरी राजहंस , आशाराम रतूड़ी, कु.स्नेहल यादव, हौंसिला प्रसाद अन्वेषी ,भावना दीक्षित, पूजा नाखरे, इंदू मिश्रा, शशिकला कालकर, गोपाल गुप्त दहली, पंकज तिवारी, पवन मिश्र, रमेश गोयनका ,ऋषिकुमार शर्मा, गजेन्द्र सिंह चौहान, शरद कुमार सक्सेना ,रोहित भाटिया, अंजनी कुमार द्विवेदी, हास्यसम्राट पं.सुरेश मिश्र, आनंद पाण्डेय केवल, मनिंदर सरकार, शारदा प्रसाद दुबे, डॉ.श्रीहरि वाणी जी ने लगभग तीन घंटे तक लोगों को खूब हँसाया।संचालक सुरेश मिश्र जी ने अपनी छटा बिखेर कर लोगों को लोट पोट कर दिया।सभी ने काव्यसृजन परिवार को स्थापना दिवस की बधाई व शुभकामनायें दी|कार्यक्रम के अध्यक्ष पं. श्रीधर मिश्र जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कार्यक्रम की खूब सराहना की और इस तरह के आयोजन पर बल देते हुए कहा कि आओ हम सब खुशी बिखेरें,इसकी बहुत जरूरत है।काव्यसृजन परिवार ने आज जो गूगल मीट पर अपने स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर कविता से हटकर हास्य - व्यंग का आयोजन किया और इसी बहाने सभी को जीवन्तता के कुछ पल उपलब्ध कराये..इस समयानुकूल सार्थक आयोजन की जितनी सराहना करें कम होंगी।यही साहित्यकारों और संस्था का सामाजिक दायित्व भी हैं।अंत में प्रवक्ता आनंद पाण्डेय केवल ने स्थापना दिवस की बधाई देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।और आयोजन के समापन की घोषणा करते हुए आगे भी सहयोग स्नेह बनाये रखने का निवेदन किया।
काव्यसृजन का "हँसी के फव्वारे" कार्यक्रम सम्पन्न
राजीव नंदन मिश्र नन्हें