परित्यक्ता

 



देवालय से निष्कासित

खंडित मूर्तियां

 धूप दीप नैवेद्य की

नहीं रहती अधिकारी


परित्यक्ता ओके जैसे

वह भी अभिशप्त हो जाती है 

मन से निकली

दुआओं प्रार्थनाओ से



खंडित मूर्तियां

देवालय ओ में नहीं

शोभामयान होती है

वह तो नदी तल की

देव बनती हैं


उन्हें तो अभिशाप

मिल जाता है

निर्वासन और 

एकाकीपन का

परित्यक्ता ओके जैसे


. रेखा शाह आरबी

जिला बलिया उत्तर प्रदेश

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