दिल के अंदर तू ही तू है
दिल से दिल की गुफ़्तगू है
दिल में उल्फ़त है ये कैसी
और किसकी जूस्तज़ू है
कौन ख्वाबों में है आता
तू तो मेरे रू - ब - रू है
दिल में जो तस्वीर है इक
तुझसे मिलती हू-ब-हू है
लाज से चेहरा तो देखो
आज कैसा सुर्खरू है
रातरानी खिल गई तो
फिर फ़ज़ा में बू ही बू है
बेवफ़ाई से तुम्हारी
हर तरफ़ अब थू ही थू है
थाम ले अब हाथ 'ऐनुल'
तू ही मेरी आबरू है
'ऐनुल' बरौलवी
गोपालगंज (बिहार)