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मन्शा शुक्ला
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छायी है कैसी जग पर
दुख की बदरिया
करदो कृपा की प्रभु
जग पर नजरिया
छायी है कैसी प्रभु
दुख की बदरिया
करदो कृपा............।
रूदन आर्तनाद की
गुँज रही सदायें
मौत का ताडंव मचा
बैबसी रूलायें
अब न करो देर प्रभु
सुन लो अरजियाँ
करदो कृपा..........।
प्रतिपल बढ़ता जाता
रोग तम धरा पर
गली विथिका विरान
भूलें हर्ष उल्लास सब
मन मायूस भीगें नयन
छलकें दुख की गगरिया
कर दो कृपा................।
हो रहा व्यथित मन
देख दर्द जग का
भँवर बीच डोल रही
जीवन की नैया
बन के खेवनहार प्रभु
पार करो नैया
कर दो कृपा...............।
मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर
सरगुजा छ. ग.