जीवन की आशा में

 

पद्मा मिश्रा

जीवन प्रतीक्षा है आने वाले कल की,

रात के अंधेरों को चीर कभी निकलेगा,

डूबती उम्मीदों में सूरज प्रभात का,

सांसों की डोर पकड़ ,जीवन की आशा में,

रच देंगी किरणें फिर परचम विहान का.

बीतेंगे लम्बी प्रतीक्षा के पल जैसे,

गंध गंध डूबा मन आशा विश्वास का.

अश्रु भरी आँखों में मुस्काएगा सावन,

संवरेगा बगिया में फूलों का फिर बचपन,

पोर पोर निखरेगा जीवन मधुमास का,

पावस के मेघों सी, भींगी हर भावना,

बूंद बूंद संवरेगी संचित हर कामना,

यादों में महकेगा मधुवन परिहास का.

रात के अंधेरों को चीर कभी निकलेगा ,

डूबती उम्मीदों में सूरज प्रभात का.

--

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image