डॉ मधुबाला सिन्हा
"माई के आँचर इबादतगाह बन जाला
वक्त बेवक़्त के फ़रियाद बन जाला
सबकुछ हार के भी माई हार न मानेली
सिर लेके अपना सब गुनहगार बन जाला
ख़ुदाई में झुकल बा सिर हमेशा माई के
वेवफाई भी ना कहीं से आवाज़ दे जाला
चूमके माथा माई बिगड़ल तक़दीर बना दे
पाकीज़गी से भरल अँचरा साफा बन जाला
पूजा ध्यान अर्चना प्रार्थना अउरी इबादत
माई के देहला से जग में सब मिल जाला
धरा धीर जज़्बात के आँधी चलत रहल बा
माई के रहला से सब क़िस्मत बदल जाला
★★★★★★
© डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,चम्पारण
09 मई 2021