माँ के लिए कोई भी शब्द नहीं है ।
एक अक्षर का कोई भी विकल्प नही है ।
माँ से बना मानव, मानव से बनी मानवता
माँ जब भी बनाती है, माँ प्यार बनाती है ।
स्नेह- जल से सींच कर प्यार,
का संसार बनाती है ।
प्यार का मनमे आकार बनाती है।
खुद उसमें मिल जाती है ।
माँ का प्यार अनूठा है ।
सारा जग झूठा है ।
माँ ही है जो सारा ,
संसार बनाती है।।
@ डॉ.मीरा त्रिपाठी पांडेय
मुम्बई,महाराष्ट्र,भारत।🙏