माँ संस्कारों की माला है,
माँ मन्दिर और शिवाला है ।
माँ सर्दी की कोमल धूप पगी।
माँ साँझ ढले ज्यों दीप जली ।।
माँ रूप सलोना स्वर्ण विभा,
छलकी लहरों पर किरण प्रभा ।।
माँ अनवरत प्रवाहित गंगाजल,
माँ जीवनदायी नदियाँ कल कल ।।
माँ नेह मयी तुलसी बिरवा,
माँ शीतल सुवासित ज्यों पुरवा।
माँ वाणी नुपूर धुन पैजनी,
माँ आँचल ज्यों शीतल रजनी।
माँ लगती मिष्ठी झरने सी,
सुन कष्ट मिटे सब दुख हरती।
माँ दुर्गा है माँ काली है,
माँ रक्षिता शेरावाली है ।।
माँ अन्नपूर्णा माँ जन्मदात्री ,
माँ मान सम्मान अधिष्ठात्री।
माँ मोती शुचि उज्जवला है ,
माँ तेरे चरण तीर्थ निर्मला है।।
किरण मिश्रा 'स्वयंसिद्धा '
नोयडा