राजेश कुमार सिन्हा
तुम्हारा अप्रतिम सौन्दर्य
मेरे प्रेम के दावानल को
शीत तरंग में
परिवर्तित कर देता है ,
तुम्हारी शबनमी आँखों
से निकला नूर
मेरे अंतर्मन को
ज्योतिर्मय कर देता है,
तुम्हारे होठों की लालिमा
से टपकता अनुराग
मेरे अन्दर गाहे/बगाहे
दस्तक देने वाले क्रोध के लिए
प्रशीतक बन जाता है,
तुम्हारी सुरीली आवाज
का जादू
मुझे सम्मोहित
कर देता है ,
तुम्हारा भावुकता /
अति संवेदनशीलता
और संवेदिता/मेरे
तनावग्रस्त मन को
अजीब सा सुकून देती है ,
और/तुम्हारा कभी कभी
शिकायती अंदाज में मुझे
"निष्ठुर" कहना/मेरे मन को
बहुत प्यारा लगता है
और/तुम मुझे एक
"रोमांटिक अभिनेत्री नजर
आती हो.
आओ आज इस वर्षों पुराने रिश्ते को
फिर से उसी पुराने अन्दाज में
जीते हैं
राजेश कुमार सिन्हा
मुम्बई