जब वो खेला करता था

विमल सागर

सुबह सवेरा अंशू बेला

जब वो किलक कर हंसता था

जब मेरे आंचल की खुशियाँ

जरा उचाछ ला देता था,


तनिक रहीं मैं मन रमणीय दृश्य ओझल

स्मरित करने आया वो

जब कलियों पर किरणों का पहरा

जब खेल खेलने आया था,


माँ बाबा का नहीं लाड़ला

शौतन माँ बन रहती थी

मेरे आंचल खुशियाँ पाकर

चेहरे से फुलझड़ी खिलतीं थीं।।


विमल सागर

बुलन्दशहर

उत्तर प्रदेश

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पितृपक्ष के पावन अवसर पर पौधारोपण करें- अध्यक्ष डाँ रश्मि शुकला
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं बरेली उत्तर प्रदेश से राजेश प्रजापति
Image