डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम के मुक्तक

  


1.

नहीं हालात अच्छे हैं..ये बतलाना जरूरी है

अगर चाहो रहे साँसे संभल जाना जरूरी है

बैठा ताक मे सबकी करोना एक शिकारी है

समय भारी है जीवन पे समझाना ज़रूरी है 


2.

इतना दुख क्यों दे .रहा दुनिया को करतार

दर्द और गम मे डूब गया ..तेरा सब संसार

सब ही विनती कर रहे सुन ले चीख पुकार

तंग आये श्मशान सब है लाखों का अंबार


3.

आ बचा ले तू कहाँ है़..विनती बारम्बार है

चीख सिसकी दर्दो गम लाशो का अंबार है

आँसुओं की बाढ में जग न बह जाये कही

फिर कौन मानेगा तुझे तू जगत आधार है


4.

साँस की कालाबजारी ये आदमी का काम है

स्वार्थ ने क्या कम को लीला मौत तो बदनाम है

बेटा मरे कोई बाप जाये माँ मरे या कि बहन

बस स्वार्थ की प्रति पूर्ति के आज मंजर आम है


5.

 जिन्दगी और साँस में दीवार दिखती है

क्या बेबसी है हर दवा बेकार दिखती है

मौत बनकर घूमता है करोना हर तरफ

हर एक गर्दन पे धरी तलवार दिखती है

डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम 

नजीबाबाद

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