मजदूर





हां मैं मजदूर हू,

बेबसी और लाचारी से मजबुर हू।

हां मैं मजदूर हू,

छल प्रपंच मुझे नहीं आते,

सीधा सुगम हम राह बनाते।

करते नहीं कोई बुरा काम,

नहीं करते हम जग बदनाम

दो टूक रोटी के लिऐ बेबस बेकसूर हूं,

हां मैं मजदूर हू।।

पसीना बहा हम कर्म कर जाते,

अपनी खुदगर्जी किसी को ना बताते।

तपते रात दिन अस्लाव में,

कहीं धूप कहीं छांव में।

हर समानतावों से दूर हूं,

हां मैं मजदूर हूं।

मेरे नाम पे बने, बड़े कारखाने,

नहीं मिला मुझे कमाने,

चंद दिनों के लिए, मै उनका जी हुज़ूर हूं,

हां मै मजदूर हूं।

मुझमें है, एक चाह की आशा,

रोटी और पनाह की आशा,

फिर चंद दानो के लिए मजबूर हू,

हां मैं मजदूर हूं।



तेज देवांगन

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं इंदौर मध्यप्रदेश से हेमलता शर्मा भोली बेन
Image