भूपेन्द्र दीक्षित
मध्यकाल में जब भारत में हिंदुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था ,उस काल में हिंदू मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों सिद्ध संतों और सूफी साधुओं ने अपनी जी जान की बाजी लगा दी, देश को बचाने के लिए। ये सारे सिद्ध संत गुरु गोरखनाथ और शंकराचार्य के बाद के हैं ।
ईस्वी सन् ५०० से १८०० तक के काल को मध्यकाल कहा जाता है ।इनमें से कुछ अनाम संतों के बारे में मैं आपको जानकारी दूंगा।
संत धन्ना
इनका आविर्भाव सन्1415 ईस्वी में हुआ था। ये राजस्थान के थे और बनारस जाकर रामानंद के शिष्य बने थे।
संत दादू
आप सन्1544 ईसवी में जन्मे थे और अवसान काल 1603 ईस्वी बताया जाता है। ये गुजरात के प्रसिद्ध संत थे। इनको हिंदी गुजराती और राजस्थानी भाषा आती थी। दादू तुलसीदास के समकालीन थे।
संत मलूक दास
इनका आविर्भाव 1574 से 1682 के बीच अनुमानित है। इनका जन्म लाला सुंदर दास खत्री के घर 1631 में कड़ा जिला इलाहाबाद में हुआ। वृंदावन में आप की समाधि है और इन्हीं का यह प्रसिद्ध दोहा है-
अजगर करे न चाकरी ,पंछी करे न काम ।
दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम।।
संत पलटू
आपके जन्म का कोई खास विवरण नहीं मिलता। इनके शिष्यों के द्वारा इनका जन्म काल संवत 1826 बताया गया। यह बनिया थे और आजमगढ़ के पास उत्पन्न हुए थे। कहा जाता है कि संत भीखा दास इन के गुरु थे। संत चरणदास के पिता मुरलीधर राजस्थान के डेरा गांव के रहने वाले थे। उन्होंने 14 वर्ष तक योगाभ्यास किया और तमाम सिद्धियां प्राप्त कीं। सहजोबाई और दया बाई इन्हीं की शिष्य थीं ।
संत सहजोबाई
आपका जन्म 1725 ईस्वी और मृत्यु१८०५ ईसवी में बताई जाती है। प्रसिद्ध संत कवि सहजोबाई दिल्ली के परीक्षित पुर की थी और आजीवन ब्रह्मचारिणी थीं इन्होंने ज्ञान भक्ति और योग की विद्या प्राप्त की। 24 जनवरी सन 1805 में इनका देहांत हुआ।
इनकी कविता का एक उदाहरण देखें
हरि कृपा जो होय तो, नाही होय तो नाहिं।
पैर गुरुकिरपा दया बिन ,सकल बुद्धि बहि जाय।।
राम तजूं पर गुरु ना विसारूं।
गुरु के सम हरि को न निहारु।।
संत दया बाई
आप राजस्थान के देहरा गांव की निवासी थीं। इन्होंने गया बोध नामक ग्रंथ की रचना की। इनकी मृत्यु बिठूर में हुई ।
संत एकनाथ
आपका जन्म पैठण में हुआ था ।यह ब्राह्मण थे और उन्होंने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई ।इनकी प्रसिद्धि भागवत के मराठी अनुवाद के कारण हुई ।संत तुकाराम महाराष्ट्र के प्रमुख संतों में एक थे। इनका जन्म पुणे में 1520 अर्थात सन 1598 में हुआ था और अवसान संवत 1571 में माना जाता है।
क्रमशः