लरछुत


"छोटहन बा


बिख---


लमहरो से बेसी बा


लमहर त कुछु नइखन


कलयुग के बीज बा


लमहर--


नेवर हो जालें


तनी,बगला के ,


राह काट के चल जालन


पर इ !!!!


तनल रहेले


लड़े-मारे के


तइयार रहेले


आपन-बीरान


तनिको न बुझेलें


मुड़ी झटकार के


जबाब तइयारी रखेले


लोगवा---


राह बचवले जालें


अझुरईला से


बचवले जाले


जायद----


राह बचा ल


कन्नी कटा ल


नया जमाना के


इ---


लरछुत ह !!!!!!


★★★★★★


डॉ मधुबाला सिन्हा


वाराणसी


09 सितम्बर20 


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