जिंदगी किताब है जिसके हर पन्नें पर जीवन के कुछ राज है
जो समझ गया वो खुश है और जो न समझा वो बर्बाद है
जिसने जिंदगी की कदर की उसके लिए जिंदगी खास है और
जो न समझ के भी नासमझ रहा उसके लिए सब बकवास है
हर पन्नें पर नए नए सबक तजुरबे और नई नई बात है
जो न समझा वो फ़ैल और जो समझ गया वो जिंदगी में पास है
जो जिंदगी के आगे पन्नें पलट पलट पढ़ता गया वो खुश
और जो पिछले पन्नों पर ही अटक गया बस वही जिंदगी में निराश है
जिंदगी के हर अक्षर में सीख समझ एहसास और मिठास है
जिसने स्वाद के हिसाब से पकाना बनाना सीखा बस उसकी जिंदगी लाजवाब है
लेखिका - डॉ सरिता चंद्रा
बालको नगर कोरबा (छ.ग.)