बचपन में मां,
मुझसे हिन्दी बोली,
प्रेम - पुचकार से
मेरी अभिव्यक्ति का द्वार खोली।
माता को मैंने कहा मां,
मां ने कहा मुझे बेटा
उठो! सुबह हो चुकी है,
अभी तक क्यों है लेटा?
मैंने कहा-मां
कल कक्षा में मैम आई,
हिंदी बोलने पर
मुझे डांट पिलाई।
ब्लडी, हेल,नौनसेंस और ईडियट कहा,
गुस्से में अवशेष कोई शब्द न रहा।
मां! देखो बच्चों का हाल,
अंग्रेजी सीखने का कैसा जंजाल?
मां! मेरी समझ में अंग्रेजी न आए,
मुझे तो हिंदी ही भाए।
-विनोद कुमार पाण्डेय-
शिक्षक - हरिद्वार
मो० 8630982322