तुम हमसे ऐसे रूठे हाे कि
मनाने का एक तरीका तुझकाे नहीं आता
एक मुझकाे नहीं आता
प्यार कितना है बताना तुझकाे नहीं आता
जताना मुझकाे नहीं आता
अक्सर इश़्क में भी जंग हाे जाती है
हार जाना तुझकाे नहीं आता
झुक जाना मुझकाे नहीं आता
तमाम गिले-शिकवे लेकर घूमते हाे
पूछना तुझकाे नहीं आता
बताना मुझकाे नहीं आता
तेरी याद मुझे तन्हा कर जाती है
मरहम लगाना तुझकाे नहीं आता
घाव दिखाना मुझकाे नहीं आता
सूनेपन में कितना राेते हाे
आँखाें से छिपाना तुझकाे नहीं आता
आंसू पाेछना मुझकाे नहीं आता
इश़्क का तालाब यहाँ है इतना गहरा
कि तैर जाना तुझकाे नहीं आता
डूब जाना मुझकाे नहीं आता
---शिवम्