पिंजरे मे कैद,,,,,


मत करो मुझे पिंजरे में कैद


मुझे भी आज़ाद रहने दो


तेरे इन प्यारे से पिंजरे मे


मैं जकड़ी जंजीर सी लगती हूँ


सोचती हूँ मन ही मन 


क्या की हूँ गलती मैं


पूरे रात पिंजरे में बैठ मैं रोती हूँ


मत करो मुझे पिंजरे में कैद


मुझे भी आज़ाद रहने दो


 


जिंदगी को अपने मै नही समझ पाई


मिलने को मन करता है ईश्वर से


शिकायत करुँगी 


की मुझको इतना कष्ट क्यू दिए


मैंने क्या क़शुर किए


दाना पानी मुझे देते हैं


खाने की इक्षा मेरी नही होती है


मत करो मुझे पिंजरे मे कैद


मुझे भी आज़ाद रहने दो।।।।।


 


अर्पणा दुबे


अनूपपुर मध्यप्रदेश।।।।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


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