वन विभाग तेंदुए को रेस्क्यू करने का दावा तो कर रहा है लेकिन अभी तक तेंदुआ को रेस्क्यू नहीं किया गया। 

 


दीपक कुमार


बेतिया। बेतिया मे वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के तहत उदयपुर जंगल से सटे गांव के लोग इन दिनो रतजगा करने को मजबूर हैं ।आलम यह है की तेंदुए की चहलकदमी से ग्रामीणों में डर व दहशत का माहौल है ।तेंदुए ने अभी तक गांव के आधा दर्जन मवेशियो को अपना शिकार बना लिया है और मवेशी के साथ साथ ग्रामीणों को अपने जान की चिंता भी सता रही है।वहीं वन विभाग तेंदुए को रेस्क्यू करने का दावा तो कर रहा है लेकिन अभी तक तेंदुआ को रेस्क्यू नहीं किया गया। और पिछले एक सप्ताह से ग्रामीण डर व दहशत के बीच जीने को मजबूर हैं।दरअसल वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के तहत जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दुरी पर स्थित हैं उदयपुर जंगल जंहा तेंदुआ,बाघ जैसे खतरनाक जानवर नहीं पाए जाते हैं और इस जंगल के आस पास कई गांव हैं जंहा हजारो की संख्या में लोग रहते हैं।इसी जंगल से सटा हुआ है बैरिया प्रखंड क्षेत्र का पतरखा गांव जंहा के ग्रामीणों के लिए वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगल से उदयपुर जंगल पहुंचा एक तेंदुआ दहशत का पर्याय बन चुका है।इसके साथ हीं जगंल के आस पास पतरखा,भटवलिया,मझरिया,सिसवा सरेया जैसे गांव के लोग दहशत में हैं ।वन विभाग के कैमरे में भी तेंदुए की तस्वीर 19 जून को कैपचर हुई है बावजूद इसके वन विभाग द्वारा कार्रवाई करने की रफ्तार काफी धीमी हैं और पिछले एक सप्ताह के दौरान वन विभाग ने गांव में कुछ दूर तक तार से घेराबंदी कर दिया है।वहीं इस मामले में वन विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी बताने से साफ साफ इन्कार कर रहा है जबकि ग्रामीण काफी डरे व सहमे हुए हैं ।


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